वैज्ञानिकों ने खोजा दुनिया का सबसे ऊष्मा प्रतिरोधी पदार्थ
वैज्ञानिकों ने एक ऐसे पदार्थ की पहचान कर ली है, जो लगभग 4000 डिग्री सेल्सियस के तापमान को सहन कर सकता है। यह खोज बेहद तेज हाइपरसोनिक अंतरिक्ष वाहनों के लिए बेहतर ऊष्मा प्रतिरोधी कवच बनाने का रास्ता खोल सकती है। ब्रिटेन के इम्पीरियल कॉलेज, लंदन के शोधकर्ताओं ने खोज की है कि हैफ्नियम कार्बाइड का गलनांक अब तक दर्ज किसी भी पदार्थ के गलनांक से ज्यादा है। टैंटलम कार्बाइड और हैफ्नियम कार्बाइड, दोनों ही रीफ्रेक्ट्री सिरेमिक्स है, इसका अर्थ यह है कि यह असाधारण रूप से ऊष्मा के प्रतिरोधी हैं। अत्यधिक ऊष्मा को सहन कर सकने की इनकी क्षमता का अर्थ यह है कि इनका इस्तेमाल तेज गति के वाहनों में ऊष्मीय सुरक्षा प्रणाली में और परमाणु रिएक्टर के बेहद गर्म पर्यावरण में ईंधन के आवरण के रूप में किया जा सकता है। इन दोनों के गलनांक के परीक्षण प्रयोगशाला में करने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध नहीं थी। ऐसे परीक्षण से यह देखा जा सकता है कि यह कितने अधिक गर्म पर्यावरण में काम कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने इन दोनों यौगिकों की गर्मी सहन कर सकने की क्षमता के परीक्षण के लिए लेजर का इस्तेमाल करके तेज गर्मी पैदा करने वाली एक नई प्रौद्योगिकी विकसित की है। उन्होंने पाया कि यदि इन दोनों यौगिकों को मिश्रित कर दिया जाए, तो उनका गलनांक 3905 डिग्री सेल्सियस था, लेकिन दोनों यौगिकों को अलग-अलग गर्म किए जाने पर उनके गलनांक अब तक ज्ञात पदार्थों के गलनांक से ज्यादा पाए गए। टैंटलम कार्बाइड 3768 डिग्री सेल्सियस पर गल गया, जबकि हैफ्नियम कार्बाइड का गलनांक 3958 डिग्री सेल्सियस था। यह निष्कर्ष नई पीढ़ी के हाइपरसोनिक वाहनों, यानी अब तक के सबसे तेज अंतरिक्षयानों के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
मीठा कागज पानी से बैक्टीरिया दूर करेगा
कनाडा में भारतीय मूल के शोधकर्ताओं के एक दल ने चीनीयुक्त कागज की एक विशेष पट्टी विकसित की है, जिसके जरिए पानी से हानिकारक बैक्टीरिया दूर किया जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे भारत समेत दुनिया भर के खासकर ग्रामीण इलाकों में प्रदूषित पानी से ई कोलाई बैक्टीरिया को खत्म किया जा सकेगा। इस विशेष पट्टी को डिपट्रीट नाम दिया गया है। यॉर्क यूनिवर्सिटी, कनाडा के शोधकर्ता, सुशांत मित्रा ने कहा कि उनकी खोज डिपट्रीट दुनियाभर में स्वास्थ्य लाभों के साथ नई पीढ़ी के किफायती और आसानी से कहीं लाए - ले जाने लायक उपकरणों के विकास के लिए अहम् होगी। डिपट्रीट यॉर्क लैसोंडे स्कूल की माइक्रो एण्ड नैनो स्केल ट्रांसपोर्ट लैब के शोधकर्ताओं का नवीनतम् आविष्कार है। यह दरअसल एक नवोन्मेष है। इससे पहले यह लैब एक सचल जल किट का इस्तेमाल कर प्रदूषित पानी में ई कोलाई बैक्टीरिया का पता लगाने की विधियां खोज चुकी है। मित्रा के अनुसार, हम अध्ययन करके यह जान चुके हैं कि डिपट्रीट की मदद से पानी में ई कोलाई बैक्टीरिया का पता लगाने, उसे पकड़ने और खत्म करने में दो घण्टे से भी कम समय लगेगा। प्रदूषित पानी के नमूनों में डिपट्रीट को डूबोकर लगभग 90 प्रतिशत बैक्टीरिया को प्रभावी तरीके से समाप्त करने में शोध-टीम को सफलता मिल चुकी है इस विशेष कागजी पट्टी के इस्तेमाल से वैश्विक स्वास्थ्य के परिदृश्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। इससे कनाडा के सुदूर उत्तरी क्षेत्रों से लेकर भारत के पिछड़े ग्रामीण इलाकों तक, पानी से बैक्टीरियागत प्रदूषण करना आसान हो सकेगा। पानी से बैक्टीरिया को निकालने के लिए शोधकर्ता कागज की छिद्रयुक्त पट्टी का इस्तेमाल करते रहते हैं, लेकिन डिपट्रीट में शोधकर्ताओं ने सहजन की फलियों के बीज में पाए जाने वाले बैक्टीरियारोधी तत्व का इस्तेमाल किया, ताकि प्रदूषित पानी से बैक्टीरिया को न केवल छाना जा सके, बल्कि नष्ट भी किया जा सके।
सन् 2022 में होगा नए तारे का जन्म
तीसरी शताब्दी के आरम्भ में ब्रह्मांड में दो सूर्यों के आपस में विलय होने की असाधारण घटना के 1800 वर्ष बाद 2022 में नए तारे का जन्म होगा। डब स्टार बूम कही जाने वाली ऐसी दुर्लभ और अविश्वसनीय घटनाएं आम तौर पर दूरबीन के माध्यम से दिखती हैं, लेकिन इसे नग्न आंख से भी देखा जा सकेगा। दरअसल दोनों तारे आपसी मिलन से पहले काफी कम चमकीले थे। लेकिन इसके बाद निर्मित हुआ रेड नोवा काफी चमक वाला होगा मिशिगन, अमेरिका के केल्विन कॉलेज में रिसर्च एवं स्कॉलरशिप के डीन डॉ. मैट वालहाउट के अनुसार, इतिहास में पहली बार यह घटना हो रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार, बूम स्टार की चमक लगभग छह महीने तक रहेगी। इसके बाद वह धीरे-धीरे मध्दिम होना शुरू हो जाएगा और दो-तीन सालों में सामान्य अवस्था में पहुंच जाएगा। यह पहला मौका होगा जब वैज्ञानिक नए तारे की भविष्यवाणी कर रहे हैं। ब्रिटेन के खगोलविद् ने कहा कि इस दिलचस्प और महत्वपूर्ण घटना को रिकॉर्ड करने की विज्ञान जगत् में होड़ होगी।
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