बिटकॉइन और लक्ष्मीकॉइन: एक नई वर्चुअल करेंसी

एक करेंसी कैसे पूरी दुनिया में हंगामा खड़ा करने में कामयाब हो सकती है- इसके कुछ उदाहरण इस साल मई-जून के दो महीनों में देखने को मिले। पहली घटना मई के दूसरे हफ्ते में हुई, जब दुनिया भर के कम्प्यूटरों पर फिरौती वसूलने वाले वायरस वानाक्राई का हमला हुआ। दावा किया गया कि कुछ ही दिनों में इस वायरस ने 150 देशों के तीन लाख से ज्यादा कंप्यूटरों के सॉफ्टवेयर को निष्क्रिय कर दिया और ऐसा करने वाले हैकरों ने कंप्यूटर सही सलामत लौटाने के एवज में प्रति कंप्यूटर 300 बिटकॉइन की मांग की। जिस वक्त यह घटना हुई उस दौरान 300 बिटकॉइन की कीमत 1.25 करोड़ रुपए के बराबर थी। दावा है कि वानाक्राई के जरिए हैकर 35 हजार से 50 हजार बिटकॉइन जुटाने में सफल रहे क्योंकि कई लोगों और संगठनों ने साइबर हमले से घबराकर मांगी गई फिरौती चुकाकर अपने कंप्यूटर हैकरों के कब्जे से मुक्त कराएं। उल्लेखनीय है कि हैकिंग से कंप्यूटर लॉक हो जाने के बाद उसके डाटा को दोबारा तभी देखा जा सकता है जब उसे संबंधित एंक्रिप्शन-की से खोला जाए। यह एंक्रिप्शन-की देने के बदले ही हैकर फिरौती मांगते हैं। फरवरी 2016 में कैलिफोर्निया के हॉलीवुड प्रेस्बिटेरियन मेडिकल सेंटर ने बताया था कि उसे अपने कंप्यूटर का डाटा फिर से पाने के लिए हैकर्स को 17000 अमेरिकी डॉलर की फिरौती बिटक्वाइन में दी थी। यह भी ध्यान में रखने योग्य बात है की हैकरों की पहचान उजागर ना हो इस उद्देश्य से ज्यादातर रकम बिटकॉइन नामक करेंसी के रूप में मांगी गई। असल में बिटक्वाइन इस समय इसी तरह के अवैध धंधों में लगे लोगों की सबसे प्रिय करेंसी बनी हुई है। कहा जाता रहा है कि ज्यादातर काले कारोबार बिटकॉइन के जरिए चलाए जा रहे हैं लेकिन अब तो दुनिया भर में बिजनेस करने वाले व्यापारियों को भी बिटकॉइन में लेन देन करना आसान लग रहा है क्योंकि इस पर किसी सरकार का या बैंक का नियंत्रण नहीं है। इसमें यह झंझट भी नहीं है कि अगर किसी दिन सरकार के आदेश से कोई करेंसी वापस ली गई तो क्या होगा पिछले दिनों जापान ने बिटकॉइन को कानूनी रूप से मान्यता दे दी। वहां की पीच एविएशन एयरलाइंस के विमानों की टिकटों की खरीद-बिक्री बिटक्वाइन के जरिए करने की छूट दे दी गई ऐसा करने वाला जापान दुनिया का पहला देश बना।
बिटक्वाइन की चर्चा का दूसरा बड़ा कारण रहा इसकी तेजी से बढ़ती कीमत 2 साल पहले जून 2015 को 1 बिटकॉइन की कीमत। भारतीय मुद्रा में करीब ₹20000 थी जो इस साल मई के अंत में 2,25,000 रुपए तक पहुंच गई थी यानी 2 साल में 10 गुना की बढ़ोतरी। एक आभासी मुद्रा के रूप में प्रचलित बिटक्वाइन की कीमतें तो असल में हजारों गुना बढ़ी है। जैसे जुलाई 2010 को एक बिटक्वाइन का मूल्य 0.05 अमेरिकी डॉलर था जो इस साल 24 मई 2017 को 2420 अमेरिकी डॉलर हो गया। दिसंबर 2010 में एक बिटक्वाइन को करीब 22 सेंट के बराबर माना गया था। इसके बाद 2011 में यह करेंसी 2.11 डॉलर पहुंच गई। इस तरह साल भर में ही इसकी कीमत में 1336 प्रतिशत का इजाफा हुआ। बीच में वर्ष 2013 में एक मौका ऐसा भी आया, जब 1 बिटकॉइन की कीमत 1147.25 डॉलर थी, हालांकि इसके बाद इसमें गिरावट का भी एक दौर आया और तब एक बिटक्वाइन का मूल्य घटकर 200 से 600 डॉलर के बीच रह गया, लेकिन अब इसमें एक बार फिर तेजी का रुख पैदा हुआ।
जिस तरह से जापान ने बिटकॉइन को एक कानूनी मुद्रा के रूप में मान्यता दी है, उसके आधार पर अर्थशास्त्री अनुमान लगा रहे हैं कि अगले साल के अंत तक एक बिटकॉइन की कीमत 6 लाख रुपये तक पहुंच जाएगी। क्योंकि इस वर्चुअल करेंसी की कीमत तेजी से चल रही है, इसलिए लोग इसे भी निवेश का एक माध्यम बना रहे हैं। लोग डॉलर की तरह बिटक्वाइन खरीद रहे हैं, ताकि कीमत बढ़ने पर उसे बेचा जा सके, हालांकि निवेश-विशेषज्ञ इस बारे में चेतावनी भी दे रहे हैं कि जिस तेजी से बिटकॉइन की कीमत चढ़ी है, उसी तरह उस में भीषण गिरावट का दौर भी आ सकता है।
बिटकॉइन : अवधारणात्मक तथ्य
कहने को तो यह भी एक मुद्रा या करेंसी है, ठीक उसी तरह जैसे, भारत का रुपया है या अमेरिका का डॉलर या ब्रिटेन का पाउंड है, लेकिन इसमें 2-3 फर्क है। एक तो यह की ज्यादातर मुद्राओं पर सरकार और उनके बैंकों का नियंत्रण होता है। किसी देश की अर्थव्यवस्था की ताकत के हिसाब से उस देश की मुद्रा की कीमत भी तय होती है। हालांकि इस वक्त अमेरिकी डॉलर को विश्व मुद्रा का रुतबा हासिल है, लेकिन उस पर भी अमेरिकी सरकार और वहां के फेडरल बैंक का नियंत्रण है। इस प्रकार दुनिया की सारी मुद्राएं नियम-कानूनों से बंधी है और लोगों को उन के जरिए लेन देन करते वक्त कानूनों व शर्तों का पालन करना पड़ता है। ऐसे में बिटकॉइन के रूप में एक ऐसी मुद्रा के बारे में सोचा गया, जो किसी भी सरकार और बैंक के नियंत्रण से बाहर हो और उस पर सरकारी नियम-कानूनों की बंदिश न हो, वर्ष 2009 में डिजिटल यानी वर्चुअल करेंसी के रूप में बिटक्वाइन अस्तित्व में आए। बताया गया कि इसे सातोशी नाकामोतो नामक व्यक्ति ने बनाया है। सातोशी एक छद्म नाम था। वर्ष 2015 में एक ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायी क्रेग राइट ने दावा किया कि वे ही असल में बिटक्वाइन के आविष्कारक हैं। हालांकि बिटक्वाइन के आविष्कारकर्ता का नाम लंबे समय तक रहस्य ही रहा। इसे बनाने वाले के रूप में सातोशी नाकामोतो का नाम अक्षर लिया गया, लेकिन यह शख्स कभी सामने नहीं आया। यह खुलासा असल में एक मैगजीन 'वायर्ड' ने किया था, उसके बाद क्रेग राइट ने इसे सही बताया। दावा है कि क्रेग के पास लाखों डॉलर के बिटकॉइन है। दूसरी मुद्राओं की तुलना में बिटकॉइन से जुड़ा अंतर यह है कि करेंसी नोट या सिक्कों में ना होकर एक प्रकार के कंप्यूटर कोड के रूप में है। इन्हीं कोडों को कंप्यूटर-इंटरनेट की सहायता से खरीदा बेचा जाता है। इनकी खरीद करने के बाद इन्हें ऑनलाइन वॉलेट में रखा जाता है। क्योंकि यह कंप्यूटर पर बनाई और दिखने वाली करेंसी है। इसलिए इसे क्रिप्टो-करेंसी भी कहा जाता है अन्य मुद्राओं की अपेक्षा बिटकॉइन में एक अंतर और भी है। अन्य सभी करेंसियों पर चूंकि सरकार और बैंक का नियंत्रण होता है। इसलिए मुद्रास्फीति आदि कारकों के आधार पर देशों में जरुरत के अनुसार जितने चाहे सिक्के की ढलाई और नोटों की छपाई कर ली जाती है , लेकिन बिटकॉइन की संख्या तय है। इसके आविष्कारकर्ता ने जो मॉडल बनाया है, उसमें फिलहाल पूरी दुनिया में सिर्फ 2.1 करोड़ बिटकॉइन बनाने की व्यवस्था है। इनमें से 1.5 करोड़ बिटक्वाइन फिलहाल प्रचलन में है। यह भी उल्लेखनीय है कि मौजूदा व्यवस्था में हर 10 मिनट पर नए बिटक्वाइन बनाने की छूट है। परंतु संख्या हर हाल में 2.1 करोड़ ही रहेगी, उससे ज्यादा नहीं होगी जब तक कि इसका मॉडल बदल नहीं दिया जाता।
बिटकॉइन : सृजन और विस्तार
इसकी कीमत को देख कर आज दुनिया में हर व्यक्ति बिटक्वाइन हासिल करना चाहता है यह काम 3 तरीकों से हो सकता है:
1. इंटरनेट पर मौजूद एक्सचेंज वेबसाइटें प्रचलित प्रमुख करेंसियों के बदले में बिटक्वाइन उपलब्ध कराती हैं। इसी तरह कुछ ऐप्स भी अपनी फीस लेकर बिटक्वाइन बेचते हैं, सीधे उनसे भी बिटकॉइन की खरीद की जा सकती है। स्मार्टफोन के जरिए ऐप डाउनलोड करके भी बिटकॉइन हासिल किए जा सकते हैं, YouTube पर इसे खरीदने के रास्ते बताए गए हैं। भारत में जेबपे नामक एप से इसका क्रय-विक्रय हो रहा है।
2. एक अन्य तरीका है कि वस्तुओं या सेवाओं को बेचने के बदले उनका भुगतान बिटक्वाइन से मांगा जाए। हैकर तो फिरौती की रकम ही बिटक्वाइन में मांग रहे हैं। परंतु जापान की पीच एविएशन कंपनी जिस तरह से बिटक्वाइन को मुद्रा के रूप में स्वीकार कर रही है, उस तरह हो सकता है कि जल्द ही दुनिया के अन्य देशों में भी बिटक्वाइन को एक प्रचलित करेंसी के रूप में मान्यता मिल जाए। उल्लेखनीय है कि भारत में अभी बिटकॉइन को अवैध करेंसी माना जाता है हालांकि कई लोगों के पास यह आभासी मुद्रा है।
3. तीसरा तरीका है बिटक्वाइन की माइनिंग: माइनिंग से इसे हासिल करना एक कला है। बिटक्वाइन चूंकि कंप्यूटर के माध्यम से बनाई यानी क्रिएट की जाने वाली क्रिप्टो करेंसी है, इसलिए इसे बनाना काफी मुश्किल है। इसे बनाने की कुछ शर्तें हैं, जिनका पालन करना जरूरी है। इसके लिए सबसे पहले कंप्यूटर सिस्टम पर बिटक्वाइन से जुड़ा कम्युनिटी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना पड़ता है। कम्युनिटी सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने पर शुरुआत में कुछ बिटक्वाइन मुफ्त मिलते हैं। बिटक्वाइन हासिल करने की पूरी प्रक्रिया माइनिंग कहलाती है। बिटक्वाइन की माइनिंग का काम शुरू होता है बिटक्वाइन से जुड़े कम्युनिटी सॉफ्टवेयर को कंप्यूटर सिस्टम पर इंस्टॉल करने से। सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने पर एक विशेष कोड जनरेट होता है। यह खास कोड बिटकॉइन एड्रेस कहा जाता है। रकम का लेन-देन यानी ट्रांजैक्शन में यह कोड बैंक अकाउंट की तरह काम करता है। कोड के जरिए व्यक्ति की पहुंच बिटक्वाइन के सार्वजनिक बहीखाते तक हो जाती है। जहां उसे बिटकॉइंस के पुराने ट्रांजैक्शन की खोज करनी होती है। इसके ऑनलाइन बहीखाते में पुराने ब्लॉक्स की खोज करना और उसमें नए ट्रांजैक्शन दर्ज करवाना मुख्य रूप से यही दो काम बिटक्वाइन माइनिंग के तहत होते हैं। लेन-देन के पुराने विवरण में नए ट्रांजैक्शन दर्ज करवाना बिटक्वाइन माइनिंग है। इसके ऑनलाइन बहीखाते में जब नए ट्रांजैक्शन दर्ज होते हैं, तो पुराने ट्रांजैक्शन को मिलाकर एक ब्लॉकचेन बनती है। ब्लॉक चैन से ही यह तय होता है कि कोई लेन-देन हुआ है।
माइनिंग की इस प्रक्रिया का असल मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि यह काम पूरी तरह सुरक्षित ढंग से हो और इसमें किसी तरह के फर्जीवाड़े की गुंजाइश ना रहे। माइनिंग करने वाले लोग माइनर कहलाते हैं और माइनिंग करने के एवज में उन्हें फीस व नए बिटक्वाइन भी मिलते हैं। ध्यान रहे कि बिटक्वाइन माइनिंग का काम बैंक की पासबुक अपडेट कराने जितना आसान नहीं होता। इस प्रोसेस को बेहद जटिल बनाया गया है। माइनिंग में सिर्फ हालिया ट्रांजैक्शन को ब्लॉक में जोड़ कर बिटक्वाइन नहीं मिल जाते, बल्कि इसके लिए जटिल गणितीय पहेली भी हल करनी पड़ती है। पहेली हल करने के बाद ही माइनर ब्लॉकचेन में नया ब्लॉक करने योग्य हो पाते हैं और इसके लिए वे रिवार्ड का दावा कर सकते हैं। ये रिवार्ड माइनर को ट्रांजैक्शन फीस और नए बिटकॉइन हासिल करने का दावेदार ठहराते हैं। जब कोई माइनर ब्लॉक की खोज कर लेता है, तो उसे रिवॉर्ड के रूप में बिटक्वाइन की निश्चित संख्या मिलती है। बिटकॉइन के माइनर यानी खनिक ही उसे बनाकर या हासिल करके दूसरे लोगों को बेचते हैं और इसके बदले फीस के रूप में रकम लेते हैं।
बिटकॉइन की सुरक्षा
कंप्यूटर पर बिटकॉइन हासिल करने पर इसका सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना होता है, जिसकी प्रक्रिया शुरू करने पर एक खास कोड मिलता है। इसे बिटकॉइन एड्रेस कहा जाता है। धन राशि के लेन-देन यानी ट्रांजैक्शन में यह कोड सबसे प्रमुख है, क्योंकि यही बैंक अकाउंट की तरह काम करता है। बिटकॉइन से किसी भी खरीदारी या लेनदेन के लिए यह कोड जरूरी है। यदि आपको किसी को रकम भेजनी है, तो उसका बिटकॉइन एड्रेस आपके पास होना चाहिए। यदि आपको रकम हासिल करनी है, तो आपको अपना एड्रेस उसे भेजना होगा। मोबाइल फोन पर मौजूद सॉफ्टवेयर या कंप्यूटर पर इंस्टॉल किए गए प्रोग्राम से इस कोड के जरिए धनराशि भेजी जा सकती है। एक बार बिटकॉइन जनरेट होने के बाद इस कोड को यूज़र अपनी हार्ड ड्राइव या पेन ड्राइव में सेव कर सकते हैं या अपने वर्चुअल वॉलेट में रख सकते हैं। कोड सुरक्षित होते हैं। लेकिन डिजिटल वॉलेट नहीं, इसीलिए इसे सुरक्षित रखने के लिए पासवर्ड का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा कागज पर कोर्ट को प्रिंट कर के सुरक्षित रखा जा सकता है।
काला धन सफेद करने वाली करेंसी
बिटकॉइन को ज्यादातर देश इसलिए मान्यता नहीं दे रहे हैं, क्योंकि इसके जरिए होने वाली खरीद-फरोख्त और इसके धारकों का पता लगाना मुश्किल है। असल में मनी लॉन्ड्रिंग यानि काले धन को सफेद मे बदलने की प्रक्रिया में बिटकॉइन काफी मददगार साबित हो रहे हैं। भारत में मौजूद अपने खाते में रुपए बिटकॉइन में बदलवाकर डाल दिए जाएं और उन्हें दुनिया में कहीं भी जाकर डॉलर में भुना लिया जाए, तो उसकी धरपकड़ नहीं हो सकती। हवाला, टैक्स चोरी, मादक पदार्थों की खरीद-फरोख्त, हैकिंग और आतंकी गतिविधियों में बिटक्वाइन के बढ़ते इस्तेमाल ने अर्थशास्त्रियों, सुरक्षा एजेंसियों और सरकारों तक की नींद उड़ा दी है। भले ही बिटक्वाइन एक प्रकार की डिजिटल या वर्चुअल करेंसी ही है, फिर भी सामान्य कम्युनिकेशन प्रोटोकॉल और पोर्ट के जरिए इसका पता लगाना बेहद मुश्किल है।
दुनिया में फिलहाल बिटकॉइन का जो इस्तेमाल हो रहा है वे ज्यादातर अवैध कारोबार से जुड़े हैं। यहां तक कि भारत में अवैध कारोबारों में बिटक्वाइन के प्रयोग की बातें पता चली है। जैसे पिछले साल जुलाई 2016 में देश में ड्रग्स की अवैध तस्करी पर नजर रखने वाली कानूनी व खुफिया एजेंसी एनसीबी ने दो तरह के आपराधिक सिस्टम को प्रतिबंधित किया था, जिनमें से एक बिटक्वाइन से जुड़ा हुआ था। एनसीबी ने बताया था कि ड्रग्स का कारोबार 'डार्कनेट' और अवैध मुद्रा बिटकॉइन के जरिए अंजाम दिया जा रहा है। देश में बिटकॉइन के माध्यम से अवैध रुप से मादक पदार्थों की खरीद-फरोख्त बढ़ रही है, जो चिंताजनक है। हालांकि सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया स्पष्ट रुप से कह चुके हैं कि बिटकॉइन में कोई भी कारोबार करना गैरकानूनी है, इसके बावजूद जानकारी यह है कि मई 2017 में देश में करीब 2500 लोग बिटकॉइन में पैसा लगा रहे थे। एक आकलन के अनुसार भारत में करीब 30000 लोगों के पास बिटक्वाइन है, जिनके पास पूरी दुनिया में प्रचलित बिटकॉइंस का 1% हिस्सा जमा है।
बिटकॉइन के लाभ एवं हानियां
इस वर्चुअल करेंसी के बेशुमार फायदे हैं। जैसे इसे ईमेल भेजने की तरह दुनिया में कभी भी, कहीं भी, किसी को भी ट्रांसफर किया जा सकता है। कोई सरकार या बैंक इस करेंसी पर सेंसरशिप नहीं लगा सकती। इसके सिस्टम को हैकिंग प्रूफ माना जाता है। फर्जी करेंसी बनाना भी नामुमकिन है, क्योंकि मैथमेटिकल कोड पर आधारित सिस्टम में फर्जी कोड जनरेट नहीं हो सकता। यह पहले से तय है कि सिर्फ 2.1 करोड़ बिटकॉइन बनेंगे, इसलिए अलग से एक भी बिटकॉइन बनाना नामुमकिन है। अगर कोई चाहता है कि पैसे ट्रांसफर करने, कोई भी आर्थिक लेनदेन करने में न तो बीच में कोई बैंक या व्यक्ति आये और ना ही ट्रांजैक्शन फीस ले, तो यह सिर्फ बिटक्वाइन में मुमकिन है। बिटक्वाइन में दशमलव के आठवें अंक तक छोटी रकम भेजी जा सकती है। मसलन 0.00000001 BTC भी किसी को ट्रांसफर किए जा सकते हैं। इसी तरह से बिटक्वाइन की जालसाजी भी संभव नहीं है। क्योंकि जिस नेटवर्क से यह करेंसी जुड़ी रहती है। उसमें कोई फर्जी कोड जोड़ा नहीं जा सकता, इसलिए बाहर से एक नया बिटकॉइन जोड़ा ही नहीं जा सकता। पर इसके कुछ नुकसान भी हैं। सरकारें इस पर टैक्स नहीं ले सकती, इस वजह से बैंक और सरकारें इसे वैधता नहीं देती हैं। चूंकि इसके जरिए होने वाली खरीदारी पूरी तरह गोपनीय होती है, सरकारी एजेंसियां इसके लेन-देन का पता नहीं लगा सकती, इसलिए इसका फायदा अपराधी तत्व उठाते हैं।
जिस रकम की लेन-देन पर नजर रखना ही मुमकिन न हो, उसका इस्तेमाल भारत में कानूनी है या गैर-कानूनी, यह एक लंबी बहस का मुद्दा है। बहुत सारे लोग इसके जरिए हवाला या ब्लैक मनी के लेन-देन की आशंका जता सकते हैं। लेकिन बिटक्वाइन के हिमायती मायने हैं कि मनी लॉन्ड्रिंग तो नगदी के ट्रांजैक्शन में भी मुमकिन है तो इसे क्यों नहीं गैरकानूनी घोषित कर देते। इनके मुताबिक, यह फेमा के नियमों का उल्लंघन इसलिए नहीं करती, क्योंकि भारत में सॉफ्टवेयर डालकर या भारतीय बिजली का इस्तेमाल करके यह भारतीय मुद्रा भी बन जाती है। इसके अलावा, दूसरी बात यह भी है कि बिटकॉइन को नियंत्रित करना संभव नहीं है।
बिटकॉइन जैसा लक्ष्मीकॉइन
दो साल पहले बिटकॉइन के भारतीय संस्करण लक्ष्मीकॉइन को बाजार में पेश किए जाने से पहले बाजार के रेगुलेटरी बॉडी से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया था। दिशा निर्देशों के अभाव में इस भारतीय वर्चुअल करेंसी की लॉन्चिंग में काफी देरी हो चुकी है। गौरतलब है कि बिटकॉइन समेत दुनिया भर में पहले से ही 70 से ज्यादा वर्चुअल करेंसी चलन में है। जिसका कुल बाजार मूल्य करीब 15 अरब डॉलर(₹90,000 करोड़) है। इसमें सिर्फ बिटकॉइन की नेटवर्थ करीब 10 अरब डॉलर की है।

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